Himanshu Vishwakarma
A Goat farmer
MD :- Satpura Goat Farm
OBJECTIVE
To develop a sustainable Goat Sector,in Tribal areas for providing sustainable livelihood to small farmers.Introduce a new and innovative sector supporting agriculture.
Our aim to develop a cooperative sector through which all the actual tribal/small /poor goat farmers can get the benefit of goat rearing and get the best price of their goats, and we can improve the genetic potential of the goats by advance breeding techniques and practices.
EDUCATION QUALIFICATION
M.J. from Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism Bhopal, M.P. in 2010
ACTIVITY
sn. | – Year | :- Activity and Event Participation |
01 | – 2017 | :- National training program on commercial goat farming CIRG Mathura, U.P. |
WORK PROFILE
+ Goat rearing for last 5 years till date.
+ Good expertise in Goat Farming.
+ Farm established in village Tudani Khairi,based on Intensive type of goat farming with goats of different varieties present.
+ Goat breeds present at Satpura Goat Farm,Indian Goat breeds – Sirohi,Jamunapari,Gujri,Malwa and Sojat.
+ Good experience in organic farming and cultivation of all the cash crops (vegetables,grains,pulses,horticulture and other crops)
+ Excellent command in fodder crops cultivation and grass land development planning.
Himanshu Vishwakarma
Md:-Satpura Goat Farm
Village :- Tudani Khairi Chhindwara Road
Tehsil :- Gadarwara
Dist :- Narsinghpur
state :- Madhya Pradesh
Pin code :- 487551
Website:- www.satpuralivestock.com
E Mail:- satpuragoatfarm@gmail.com
Mob No:- +91-9893688046
Call Timing 11:00 a.m. to 5:00 p.m.
Exprience Of Himanshu Vishwakarma
हिमांशु विश्वकर्मा के बकरी पालन के व्यक्तिगत अनुभव
मेरे द्वारा प्रारंभ में बकरीयो की लोकल नस्ल के साथ कार्य प्रारंभ किया गया, व्यवसाय के एक वर्ष तक कई परेशानियों का सामना करना पडा,ऐसा लगने लगा की बकरीयों को शेड के अन्दर पालना संभव नही है। परन्तु केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान मथुरा से प्रशिक्षण लेने के बाद मैंने नए सिरे से व्यवसाय को पुनः सुव्यवस्थित करने का विचार बनाया।
संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिको द्वारा कई सुझाव दिये,जैसे नस्ल परिवर्तन कर किसी उन्नत भारतीय नस्ल को रखकर,एक प्रजनन फार्म बनाए,साथ ही फार्म पर उत्पादित बकरीयों एवं बकरों को जीवित भार के आधार पर बेचने के लिए मार्केटिंग करें एवं सभी छोटे बड़े बकरी पालक मिलकर सहयोग से काम करें जैसे सुझाव प्रमुख थे। साथ ही संस्थान के स्वास्थय विभाग एवं स्थानीय पशु चिकित्सा विभाग से समय समय पर बकरीयों की बिमारीयों एवं उनके उपचार के लिए सहयोग प्राप्त हुआ साथ ही मेरे द्वारा उन्नत नस्ल के बकरे बकरियों का क्रय किया गया इससे व्यवसाय में काफी फायदा हुआ एवं आर्थिक लाभ भी प्राप्त हुआ। सिरोही एवं सोजत नस्ल की बकरियो का चयन किया जिससे काफी अच्छा परिवर्तन हुआ और लाभ प्राप्त हुआ वैज्ञानिको एवं स्थानीय पशुचिकित्सकों के सहयोग एवं सुझाव से आज मेरा व्यवसाय लाभकारी साबित हुआ है। बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसे पूरी लगन और मेहनत से किया जाये तो बहुत अच्छा लाभ कमाया जा सकता है \
वर्तमान मे मेरे बकरी फार्म पर सिरोही, गुजरी,जमुनापारी एवं सोजत नस्ल की बकरीयां एवं बच्चे हैं। बकरीयों एवं बच्चों को बेचने की प्रक्रिया जीवीत भार के आधार पर हैं एवं 400 से 700 रु. प्रति किलो भार के बीच में बिक्री की जा रही है।
फार्म के आसपास के अन्य बकरी पालको को भी लगातार सहयोग किया जाता है|उन्नत नस्ल के बकरों से बकरीयों को ग्याबिन कराने की व्यवस्था,टिकाकरण,बिमारीयो मे इलाज,डि-वार्मिंग आदि प्रकार का सहयोग प्रदान किया जाता है। साथ ही उन्हे पशु पालन विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी एवं बकरी पालन का प्रशिक्षण भी समय समय पर दिया जाता है।