बकरी की द्विउपयोगी नस्ल सोजत
सोजत बकरी की नस्ल राजस्थान के पाली जिले के सोजत तहसील में उत्पन्न होने वाली घरेलू बकरी की एक नस्ल है। सोजत नस्ल ज्यादातर फलोदी,सोजत,पिपर,जोधपुर और राजस्थान के कुछ अन्य क्षेत्रों में पाई जाती है। सोजत बकरी जमुनापारी हैदराबादी बकरियों की क्रॉस ब्रीड है। सोजत नाम सोजत तहसील से लिया गया है। सोजत बकरी को इसलिए लोग पसंद करते हैं क्योंकि उसका गोश्त ( मांस ) बहुत स्वादिष्ट होता है।
सोजत बकरी की नस्ल को ज्यादातर मांस के लिए पाला जाता है। बकरी-ईद जैसे धार्मिक त्योहार के दौरान आमतौर पर सोजत नस्ल की कुर्बानी की जाती है। बकरी की नस्ल व्यावसायिक बकरी पालन के लिए पहली पसंद बन गई क्योंकि ये शुद्ध सफेद रंग के कारण बहुत सुन्दर दिखाई देती है,यह बहुत अच्छा वजन भी प्राप्त करती है
सोजत बकरी खूबसूरत, शुद्ध, सफेद या गुलाबी रंग की दिखती है। सोजत बकरी के सींग नहीं होते,इसके बहुत लंबे कान होते हैं, छोटी और पतली पूंछ होती है और शंकु आकार के निपल होते हैं।प्रौढ़ नर का भार 50-60 किलो और प्रौढ़ मादा का भार 40-50 किलो होता है। नर की लंबाई लगभग 80 सैं.मी. और मादा की लंबाई 78 सैं.मी होती है। इस नस्ल का प्रतिदिन दूध उत्पादन औसत 1.0-1.5 ली. और प्रति ब्यांत में दूध का उत्पादन 175 ली. होता है।
यह 3 से 12 महीने की उम्र में 130 ग्राम प्रति दिन शरीर के वजन को प्राप्त करती है। सोजत बकरी को मुख्य रूप से दूध एवं मांस उत्पादन के लिए पाली जाती है। डेढ़ साल में दो बार बच्चा पैदा कर सकती हैं।और जुड़वाँ बच्चे बहुत आम हैं। यह नस्ल अपने त्वरित वजन बढ़ाने के लिए जानी जाती हैI
सोजत के बच्चे का जन्म के समय वजन लगभग 2 से 2.5 किलोग्राम होता है। सोजत खुद को किसी भी वातावरण और जलवायु के साथ आसानी से ढल सकती है। सोजत बकरी अच्छी उत्पादन क्षमता देती है। सोजत बकरी तेजी से बढ़ने वाली नस्ल है, सोजत बकरी की नस्ल का वजन सामान्य चारा या अर्ध-गहन बकरी पालन पद्धति से 0 से 3 महीने की उम्र में प्रति दिन 100 से 130 ग्राम तक बढ़ जाता है। आम तौर पर भारत में किसी भी प्रकार के वातावरण के अनुकूल ढलने की क्षमता सोजत के पास है, यह किसी भी वातावरण में अच्छी ऊंचाई और वजन हासिल कर सकती है।
सोजत बकरी कैसे पाले?
उचित स्थान का चयन: बकरी पालन शुरू करने के लिए ऐसी जगह चुनें जहां नमी न हो और आसपास खुला मैदान हो ताकि आप बकरियों को रोजाना हरा चारा खिला सकें। शुद्ध हवा और पीने का पानी हो तो बकरी पालने और खाने-पीने का खर्चा कम से कम हो और आपको ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके।
बकरियों की संख्या: शेड में बकरियों की संख्या उतनी ही रखें, जितना आप आसानी से रख सकें।
स्वच्छता: बकरियों के आसपास के स्थानों की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
बकरियों का चारा: सोजत नस्ल सामान्य चराई के बजाय झाड़ियों, पेड़ के पत्तों और घास खाना पसंद करती है, बकरियों के चारे में हरि पत्ती का प्रयोग अवश्य करें, यह उनके लिए बहुत फायदेमंद होता है और साथ ही हम उन्हें चने का भूसा, गेहूं का भूसा आदि भी दे सकते हैं।
गाभिन बकरियों की देख रेख: बकरियों की अच्छी सेहत के लिए गाभिन बकरी के ब्याने के 6-8 सप्ताह पहले ही दूध निकालना बंद कर दें। ब्यांत वाली बकरियों को ब्याने से 15 दिन पहले साफ, खुले और कीटाणु रहित कमरे में रखें।
मेमनों की देख रेख: जन्म के तुरंत बाद साफ सुथरे और सूखे कपड़े से मेमने के शरीर और उसके नाक, मुंह, कान में से जाले साफ कर दें। नए जन्मे बच्चे के शरीर को तोलिये से अच्छे से पोंछना चाहिए। यदि मेमना सांस ना ले रहा हो, तो पिछली टांगों से पकड़ कर सिर नीचे की ओर रखें इससे उसके श्वांस नलिका को साफ करने में मदद मिलेगी। बच्चे को जन्म के 30 मिनट के अंदर-अंदर पहली खीस दूध पिलायें।
ब्याने के बाद बकरियों की देख रेख: ब्यांत वाले कमरे को ब्याने के तुरंत बाद साफ और कीटाणु रहित करें। बकरी का पिछला हिस्सा आयोडीन या नीम के पानी से साफ करें। बकरी को ब्याने के बाद गर्म पानी में शीरा या गुड़ मिलाकर पिलायें। उसके बाद गर्म चूरे का दलिया जिसमें थोड़ी सी अदरक, नमक, मिनरल मिक्स्चर और गुड़ आदि मिले हों, खिलाना चाहिए।